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परमाणु ऊर्जा के सिविल अनुप्रयोगों हेतु जागृति अभियान से छात्र-छात्रएं जुड़े


परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने न्यू इरा पब्लिक स्कूल के समस्त छात्रों को परमाणु ऊर्जा एवं इसके सिविल अनुप्रयोगों के सन्दर्भ में सेमीनार के माध्यम से बताया कि नाभिकीय ऊर्जा भारत देश के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐसा संसाधन है जो सदियों तक हमें अक्षय हरित ऊर्जा दे सकता है। भारत के पास परमाणु ऊर्जा का ईंधन थोरियम के कभी ख़त्म न होने वाले भण्डार है। भारत परमाणु ऊर्जा का प्रयोग मेडिकल क्षेत्र में कैंसर जैसी भयानक बीमारियों के निदान में, कृषि में फसलों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रख सकने में, उन्नत बीज किसम तैयार करने में, बिजली बनाने में, तापीय ऊष्मा ऊर्जा की पूर्ती करने में, पानी का शुद्धिकरण करने में, मोटर वाहनों के लिए आवश्यक ईंधन की पूर्ती करने इत्यादि में विश्व स्तर से अधिक प्रवीणता रखता है। छात्रों ने डॉ. गोयल से पूछा कि परमाणु ऊर्जा से इतना सब कुछ संभव है तो ऐसा क्यूँ नहीं हो रहा है। इस पर परमाणु सहेली ने बताया कि, भारत देश परमाणु ऊर्जा के इस इस प्रकार के प्रयोगों से देश के विकास की योजनाए बहुत साल पहले सी बनाये हुए है, लेकिन जब-जब इन योजनाओं को सम्बंधित क्षेत्रों में लाने की घोषणा की गईं तब-तब क्षेत्रीय जनता ने इन योजनाओं का मरने-मारने का विरोध किया। विरोधों का कारण उनके मानों में व्याप्त भ्रांतियां एवं पूर्वाग्रह रहे हैं। परमाणु सहेली ने बताया कि भारत में 22 परमाणु संयंत्र कार्यरत हैं। लेकिन परमाणु ऊर्जा से सम्बंधित भारत की सभी योजनाएं निर्विरोध रूप से समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती रहती तो आज भारत की सालाना औसत आय 9 लाख रूपये से लेकर 15 लाख रूपये तक की होती जो वर्तमान में सिर्फ 85500 रूपये मात्र है। यही आय चायना, रसिया, जापान, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैण्ड और अमेरिका में 7 लाख रूपये से लेकर 32 लाख रूपये तक है। आज पूरे भारत की आम से लेकर ख़ास जनता को भारत की ऊर्जा के क्षेत्र में, जल के क्षेत्र में और कृषि के क्षेत्र की सभी योजनाओं के सन्दर्भ में जागरूक होने एवं उनका सम्पर्पित नैतिक समर्थन देने की अहम् आवश्यकता है।

भारत के पास प्राकृतिक संसाधन इतनी प्रचुर मात्रा में है, कि सदियों तक यह सम्रृद्ध व सुरक्षित हो सकता है।

परमाणु सहेली ने बताया कि, ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के पास कोयला तकरीबन खत्म हो चुका है। भारत को सालाना तकरीबन 60,000 अरब रूपये का तेल, कोयला, गैस इत्यादि आयात करना पड़ता है और इतना ही भारत का हर साल घाटा रहता है। भारत की अपनी ही योजनाएं यदि अभी और आगे तक समयान्तर्गत क्रियान्वित होना प्रारम्भ कर दे तो भारत समूचे विश्व में शीर्ष स्तर तक स्थापित हो सकता है। भारत की कृषि, उद्द्योगधंधे और बुद्धि व चतुराई इतने फूले फलेंगे कि भारत की यह धरती सोना उगलेगी। भारत में प्रत्येक उस व्यक्ति जिसे नौकरी या कामधंधे की आवश्यकता है, के पास उत्कृष्ट वेतन और आमदनी की नौकरियां और रोजगार होंगे। तब भारत के समक्ष न तो आरक्षण और न ही बेरोजगारी या महंगाई जैसा कोई मुद्दा बाकी बचेगा और न ही हिन्दू-मुस्लिम या आतंकवाद जैसी कोई असुरक्षा रहेगी। परमाणु सहेली ने बताया की करने योग्य कर्म होगा तो शक्ति सृजनात्मक कार्यों में लगेगी ही।

स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षण स्टाफ और समस्त छात्रों ने अपने-अपने परिवार जनों के साथ डॉ. गोयल को प्रतिज्ञा स्वरुप नैतिक समर्थन दिया और इस जागृति को चहूँ दिशाओं में फैलाने का वचन लिया।

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