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Writer's pictureAkshvi Aware

छोटे-बड़े सभी कारोबारियों को होगा लाभ



वटवा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के तत्वाधान में वटवा में परमाणु ऊर्जा जाग्रति सेमीनार एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।  इस परमाणु ऊर्जा उत्त्सव में, वटवा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चैयरमेन श्री शंकर भाई पटेल, अध्यक्ष सचिन के पटेल, उपाध्यक्ष अंकित पटेल, सचिव श्री डिम्पल पटेल, गुजरात प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री के यू मिस्त्री एवं अन्य सभी कारोबारीजन पधारे थे। इस सेमीनार में परमाणु ऊर्जा जागरुकता एवं विकास की अध्यक्षा डॉ. नीलम गोयल ने पीपीटी प्रजन्टेशन, फिल्म प्रजन्टेशन एवं प्रदर्शनी के माध्यम से परमाणु ऊर्जा की उपलब्धता, उपयोगिता एवं सार्थकता के बारें में विस्तृत रूप विश्लेषण किया। परमाणु सहेली डॉ नीलम गोयल ने बताया कि, भारत परमाणु 10 हजार मेगावाट के दाबित भारी पानी परमाणु बिजलीघरों की क्षमता प्राप्त करते ही, अपना थोरियम चक्र प्रारम्भ कर देगा। इससे भारत, सालाना, औसतन प्रतिव्यक्ति 2000 यूनिट बिजली का उत्पादन करने लगेगा। डॉ नीलम गोयल ने बताया कि, भारत के पास थोरियम चक्र हेतु थोरियम रूपी ईंधन के विपुल भण्डार उपलबध है।  भारत इस तकनीकि में पूर्णतः समर्थ है। स्वदेशी ईंधन एवं सदेशी क्षमता के बल पर बिजली का उत्पादन बहुत ही कम कीमत पर हो सकेगा। आज जहां प्रति यूनिट बिजली की उत्पादन कीमत 6.50 रूपये तक आती है, थोरियम चार से उत्पादित प्रति यूनिट बिजली की कीमत 1 रूपये से भी काम आएगी।  लिहाजा, जो बिजली आज कारोबारियों को 12 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से मिलती है, वही बिजली उसे मात्र 2 रूापए या इससे भी कम दाम पर मिल सकेगी। इन प्लांट्स के लिए अतिरिक्त जगह की आवश्यकता नहीं होगी।  ये प्लांट शहर एवं घनी आबादी के बीचों-बीच भी लग सकेंगे। जो की खूसूरत मोल की तरह होंगे और इनसे प्राणी जगत को किसी भी प्रकार का कोइ खतरा नहीं होगा।


ज्ञात रहे, भारत की समग्र बिजली उत्पादन योजना के तहत भारत को सालाना 5000 यूनिट बिजली का उत्पादन करना है। इसमें से 2000 यूनिट बिजली परमाणु ऊर्जा से, 1000 यूनिट बिजली सौर ऊर्जा से, 1000 यूनिट बिजली कोयले से, 250-250 यूनिट बिजली जल व पवन से एवं बाकी की 500 यूनिट बिजली का उत्पादन अन्य स्त्रोतों से करना है। इसके लिए भारत को कुल 18 लाख मेगावाट के पावर प्लांट लगाने होंगे। वर्तमान में भारत की बिजली स्थापित क्षमता 2 लाख 75 हजार मेगावाट है। और प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष उपभोग क्षमता औसतन 910 यूनिट है।  

भारत को अपनी सौर ऊर्जा बिजली योजना के तहत प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति, औसतन, 1000 यूनिट बिजली का उत्पादन करने के लिए 10 लाख मेगावाट के परमाणु बिजलीघर लगाने हैं। इसके लिए 30 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि की आवश्यकता होगी। यह जमीन भारत के थार रेगिस्तान से ही मिलगी। और यह भी तब संभव है जब भारत की एक और महत्वाकांक्षी योजना "भारत की सभी नदियों का अन्तर्सम्बन्ध योजना" का क्रियान्वयन हो सके। दूसरा इससे बनी बिजली की उत्पादन कीमत प्रतियूनिर 6.50 रूपये तक होगी। 

डॉ नीलम ने बताया कि, भारत को सभी स्त्रोतों से उनकी उपलब्धताओं एवं महत्ताओं को ध्यान में रखते हुए ही बिजली का उत्पादन करना होगा।

उन्होंने, परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाने एवं परमाणु बिजलीघरों से सम्बन्ध में व्याप्त भ्रांतियों एवं पूर्वाफरहों का निराकरण किया। उत्सव में, परमाणु सहेली ने विषय सम्बंधित पुस्तिका और नॉवेल सभी को प्रदान की।

उत्सव में पधारे सभी कारोबारियों एवं विशिष्ठ जनों ने डॉ नीलम गोयल के सत्य विश्लेषण और भविष्य में बिजली उत्पादन की योजना के सटीक विश्लेषण को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया और उनके इस प्रयास को एक जागरुकता क्रान्ति के रूप में एक यथार्थ प्रयास भी बताया।

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