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परमाणु सहेली ने बताया कि गुजरात के रन क्षेत्र के लिए एक बड़ी योजना है, इसका नाम है "लूणी-जवाई-रन राष्ट्रीय जल यातायात"
इस योजना में तकरीबन 500 किलोमीटर की मुख्य नहर बनेगी और कई हजार किलोमीटर सहायक नहरे भी बनेंगी जो इस पूरे क्षेत्र में कृषि में सिंचाई व पीने के लिए पानी की समस्या को दूर कर देगी। यह योजना यमुना-राजस्थान-साबरमती लिंक से जुडी हुई योजना है। यमुना-राजस्थान-साबरमती लिंक योजना आज से 20 वर्ष पुरानी योजना है। परमाणु सहेली ने बताया कि भारत में जल, बिजली व रोजगार की समस्याएं होती ही नहीं यदि भारत की जल-बिजली-ऊर्जा से सम्बंधित बीसियों वर्ष पुराणी योजनाएं बिना किसी अवरोध के समाया पर ही पूरी हो जाती रहती। और इनके क्रियान्वयन के परिणाम में हमारे गाँव हर प्रकार से समृद्धशाली होते। परमाणु सहेली ने चायना का उदाहरण देते हुए बताया कि चायना में आज ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की सालाना आय जहां 10 लाख रूपये से लेकर 20 लाख रूपये तक है, वहीं भारत में यह आय मात्र 44 हजार रूपये है। कारण, चायना में राष्ट्रीय योजनाएं समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती जा रही थी, जबकि भारत में ये योजनाएं आपसी विरोधों में ही फंसी हुई है। परमाणु सहेली ने बताया कि, ग्राम का सरपंच उस गाँव का प्रतिनिधि होता है, लिहाजा सरपंच का दायित्व बनाता है वह अपने गांववासियों को जागरूक करे कि जब भी ये योजनाएं क्षेत्र में आएं इनका पूरा-पूरा नैतिक समर्थन करें। एक प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में किसी भी योजना के समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए क्षेत्रीय जनता का सकारात्मक वातावरण अति आवश्यक होता है। भारत की जनता को समग्र रूप से जागरूक होना है। जागरूक जनता अपने द्वारा चुनी हुई सरकार के कन्धों से कंधा मिला कर इन योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करा सकेगी।
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