परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल
भारत की परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने राजकोट के कस्तूरबा गाँव में सरपंच नितिन भाई पटेल के साथ एक मीटिंग की। सरपंच ने बताया कि पीने व सिंचाई के लिए पानी की बहुत बड़ी समस्या है, जल स्तर बहुत ही नीचे चला गया है। इस पर परमाणु सहेली ने बताया कि गुजरात के रन क्षेत्र के लिए एक बड़ी योजना है, इसका नाम है "लूणी-जवाई-रन राष्ट्रीय जल यातायात 48"। इस योजना में तकरीबन 500 किलोमीटर की मुख्य नहर बनेगी और कई हजार किलोमीटर सहायक नहरे भी बनेंगी जो इस पूरे क्षेत्र में कृषि में सिंचाई व पीने के लिए पानी की समस्या को दूर कर देगी। यह योजना यमुना-राजस्थान-साबरमती लिंक से जुडी हुई योजना है। यमुना-राजस्थान-साबरमती लिंक योजना आज से 20 वर्ष पुरानी योजना है। परमाणु सहेली ने बताया कि भारत में जल, बिजली व रोजगार की समस्याएं होती ही नहीं यदि भारत की जल-बिजली-ऊर्जा से सम्बंधित बीसियों वर्ष पुराणी योजनाएं बिना किसी अवरोध के समाया पर ही पूरी हो जाती रहती। और इनके क्रियान्वयन के परिणाम में हमारे गाँव हर प्रकार से समृद्धशाली होते। परमाणु सहेली ने चायना का उदाहरण देते हुए बताया कि चायना में आज ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की सालाना आय जहां 10 लाख रूपये से लेकर 20 लाख रूपये तक है, वहीं भारत में यह आय मात्र 44 हजार रूपये है। कारण, चायना में राष्ट्रीय योजनाएं समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती जा रही थी, जबकि भारत में ये योजनाएं आपसी विरोधों में ही फंसी हुई है। परमाणु सहेली ने बताया कि, ग्राम का सरपंच उस गाँव का प्रतिनिधि होता है, लिहाजा सरपंच का दायित्व बनाता है वह अपने गांववासियों को जागरूक करे कि जब भी ये योजनाएं क्षेत्र में आएं इनका पूरा-पूरा नैतिक समर्थन करें। एक प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में किसी भी योजना के समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए क्षेत्रीय जनता का सकारात्मक वातावरण अति आवश्यक होता है।
परमाणु सहेली के वास्तविक संसार के ज्ञान को कस्तूरबा गाँव के सरपंच ने पूरी गंभीरता के साथ सुना। सरपंच लूणी-जावरी-रण NW48 योजना की जानकारी पाकर बहुत ही उत्साहित व आशान्वित हुए और परमाणु सहेली के ग्रामीणजन जागरूकता अभियान के साथ जुड़ने का नैतिक समर्थन प्रस्तुत किया।
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